27 अगस्त 2009

हाय हमने क्यों न लिखी ऐसी किताब

देश में जसवंत सिंह के कारण फिर जिन्ना भूत सामने आ खड़ा हुआ। विवाद मचाने वालों ने विवाद मचाया, कार्यवाही करने वालों ने कार्यवाही की पर आम आदमी को क्या मिला?
दाल आज भी पहुँच के बाहर है, जान पर खतरे अभी भी हैं, महिलायें घर बाहर असुरक्षित अभी भी हैं फिर इस प्रकरण से बदला क्या है?
सोचिए कि आज के परिप्रेक्ष्य में सबसे आवश्यक क्या है? आम आदमी को सुरक्षा, रोजी, रोटी, मकान, वस्त्र या फिर देश विभाजन के कारक और कारण, परमाणु समझौते की असलियत, अन्तरराष्ट्रीय कानून पर विचार?
समझ नहीं आता कि देश में समय समय पर विवादों का साया क्यों आ जाता है? क्या यह सब एक पब्लिसिटी स्टंट से अधिक कुछ नहीं है? क्या बेकार हो चुके, हाशिये पर आ चुके लोगों के पुनः चर्चा में आने का हथियार है?
कुछ तो है जो हमें दिखाई, सुनाई नहीं दे रहा है। कुछ तो है जिसे हम देखना, सुनना नहीं चाह रहे हैं।
चलिए छोड़िये रोटी की चिन्ता, छोड़िये दाल की बातें, भूल जाइये अपनी जानमाल की सुरक्षा, भुला दीजिए कि आपकी बेटी अभी भी घर से बाहर है आखिर हमें चिन्ता करनी है कि देश को किसने बँटने दिया।
हमें चिन्ता इस बात की हो कि जिन्ना सेकुलर थे या नहीं।
हमें सोचना चाहिए कि गाँधी जी की भूमिका देश के बँटवारे में कैसी थी।
आखिर इसी सबसे तो आम आदमी को दो वक्त की रोटी मिलेगी। इसी से तो देश का आर्थिक विकास होगा। इन्हीं सबसे तो देश मंदी और मँहगाई के दौर से बाहर आयेगा। इन्हीं पर तो चिन्तन करके हम आतंकवाद पर काबू कर लेंगे।
आखिर देश के एक बड़े नेता की किताब है, बड़े नेता का चिन्तन है तो हमें इस पर सोचना ही होगा।
चलिए हम तैयार हैं इन सब बातों पर सोचने और विचार करने के लिए क्या आप तैयार हैं?

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही उम्दा आलेख
    सोचने पर विवश करने वाला...
    लेकिन क्या लोग सोचेंगे इस की गंभीरता को...
    शुभकामनायें.........

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  2. ek kitab main bhi likhe ja raha hoon...

    ...kya kaha main koi atal bihari ya jaswant singh nahi ?

    kyun ji:

    आखिर देश के एक बड़े नेता की किताब है, बड़े नेता का चिन्तन है तो हमें इस पर सोचना ही होगा।

    chintan pe accha chintan.
    :)

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  3. गजब भाई साहब, आप लिखते तो और भी गजब हो जाता। इन्हीं लोगों को इस तरफ लिखने दो आपके पास वैसे भी क्या कम काम है।

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  4. bhaiji aap jo likhte ho usame kya kam bawal hota hai? ab kitab likhna to jaraa bachke......

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  5. tum aisii koi kitab na likhna jisase is tarah ka vivad ho. apni siksha ka upyog sahi kaam ke liye karna.

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  6. विवादस्पद मुद्दे उठा कर सुर्खियों में आना नेताओं का पुराना तरीका है. हमेशा से जिन्ना को कोसने वालों को आज वे मासूम लग रहे हैं . आपने सटीक प्रहार किया है

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