11 जुलाई 2009

आज बड़े कमीने लग रहे हो ! ! ! !

‘कमीना’.....‘कमीने’....चौंक गये आप? जी हाँ चौंकना स्वाभाविक है क्योंकि हमारे समाज में ये शब्द एक गाली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अभी शायद (शायद की जरूरत है?) ऐसी स्थिति आई नहीं है कि इस शब्द को भद्रजनों की भाषा-शैली में शामिल किया जाये।
गाली तो गाली ही होती है या समय के साथ उसका भी परिष्कृत रूप सामने आता है? यह सवाल एक हमारे मन में ही अकेले नहीं घुमड़ता होगा, कभी न कभी, कहीं न कहीं आपको भी परेशान करता होगा। अब करता रहे परेशान तो करे जिसको ये शब्द समाज में प्रचलित करने हैं वे तो कर ही रहे हैं।
इस बात से थोड़ा सा इतर....आपको ‘सेक्सी’ शब्द के बारे में क्या विचार आता है? कुछ सालों तक इस शब्द के मायने कुछ अलग थे। इस शब्द के उच्चारण में एक प्रकार की झिझक देखने को मिलती थी। आज.....आज ये शब्द हम बड़े हि बेधड़क होकर इस्तेमाल करते हैं। बड़े बैठें हों या फिर छोटे इस शब्द ‘सेक्सी’ के प्रयोग में कोई शर्म किसी को नहीं है।
और तो और सेक्सी शब्द के मायने अब इस रूप में बदले हैं कि हम अपने नन्हे-मुन्नों के लिए भी इस शब्द को प्रयोग करने लगे हैं। कोई विशेष ड्रेस पहना देख कर, किसी विशेष प्रकार के करतब दिखाने पर हम अपने छोटे-छोटे बच्चों के लिए अकसर कह देते हैं कि इस ड्रेस में बड़ा सेक्सी लग रहा है, लगता है। अकसर हम इस शब्द को मजाक के रूप में भी इस्तेमाल कर लेते हैं ‘और क्या हाल है, बड़े सेक्सी बने घूम रहे हो?’
इस शब्द की सहज स्वीकार्यता के सापेक्ष देखा जाये तो क्या ‘कमीना’ शब्द इतना सहज स्वीकार्य है? या हो पायेगा? हो पायेगा का जवाब शायद कोई भी न दे पाये क्योंकि हमारे फिल्मी संसार ने लगभग स्वीकार्यता की स्थिति में तो इस शब्द को लाकर खड़ा कर दिया है। याद है वो गाना - ‘मुश्किल कर दे जीना, इश्क कमीना’, यह गाना बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ा था, चढ़ा है।
अब इस गाने का विकास-क्रम बढ़ा। अब एक फिल्म आ गई है ‘कमीने’....। स्वीकार्यता की ओर एक और कदम। जैसे हमारे विचार से सेक्सी शब्द की स्वीकार्यता बढ़ी थी ‘मेरी पैंट भी सेक्सी, मेरी शर्ट भी सेक्सी........’ से। अब मित्रों में आपस में चर्चा होगी चल कमीने देख आते हैं। माँ के पूछने पर बेटी-बेटे कहेंगे-माँ दोस्तों के साथ कमीने देखने जा रहे हैं।
कई बार इस तरह के शब्दों के प्रयोग करने में उसका अर्थ न मालूम होने की स्थिति होती है पर यह भी उनके लिए होती है जो कम पढ़े-लिखे या निरक्षर होते हैं। जैसे हमारे एक मित्र के घर काम वाली बाई आती थी। वह जब भी अपने सात-आठ साल के बच्चे की कोई शरारत या फिर किसी हरकत का बखान करती तो बड़े ही गर्वोक्ति भरे अंदाज में कहती ‘लला ने ऐसो कर दओ, बड़ो हरामी है.....या बड़ो हरामी होत जा रओ, अपयें मन की करन लगो है अब’.....बगैरह-बगैरह। जब एक दिन उसको बताया कि इस शब्द का क्या अर्थ होता है तो उसने फिर इसका इस्तेमाल करना बन्द कर दिया।
क्या काम वाली बाई की तरह ही इन फिल्म वालों की स्थिति है? क्या ये लोग भी इन शब्दों के अर्थ नहीं समझते? क्या अब समाज में विकृत मानसिकता को ही फैलाने का चलन काम करेगा?
हो कुछ भी अब आने वाले समय में इस तरह के वाक्यों से भी रू-ब-रू होने की सम्भावना है ‘‘देखो-देखो मेरे बेटे को, इस ड्रेस में कितना कमीना लग रहा है।’’ ‘‘आज गजब हो गया, तुम्हारे कमीनेपन ने तो मजा बाँध दिया।’’
क्या आप इसके लिए तैयार हैं?

6 टिप्‍पणियां:

  1. अरे बाप रे आज तो आपने बड़ा कमीना आलेख लिख डाला....बधाई....!! हा..हा..हा...हा...हम तो ऐसे ही हैं भाई....!!

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  2. कुमारेन्द्र जी,
    'कमीना' शब्द जिस तरह से दिन दूनी-रात चौगुनी तरक्की कर रहा है, लगता है कुछ दिनों बाद, पुरस्कार भी दिया जाएगा:
    "अब हम आपको उस शख्स से तार्रूफ करवाएंगे जो इस वर्ष का सबसे बड़ा कमीना है, and the award goes to this year's dashing smashing one and only KAMEENA .......'
    'अदा'

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