17 मई 2009

भाजपा की हार - कारण और निवारण

वर्तमान चुनाव परिणामों ने मीडिया की, चुनाव सर्वे करवाने वाली संस्थाओं की, राजनेताओं की साथ ही साथ आम मतदाता की एक प्रकार से सिट्टी-पिट्टी गुम कर दी है। आज भले ही ‘सिंह इज किंग’ का नारा ठोंक कर कांग्रेस विजयी मुद्रा में ‘जय हो’ की जयकार कर रही हो पर सत्यता तो यह है कि उन्हें स्वयं इन परिणामों की अपेक्षा ही नहीं थी।
भाजपा भी स्वयं को शायद इस स्थिति में खड़ा नहीं देख रही थी। सत्ता के आसपास आने की चाह रखने से इस परिणाम को स्वीकार कर पाना ही उसके लिए कठिन साबित हो रहा है। भाजपा के लिए हार के कुछ कारण रहे और उन कारणों के कुछ परिणाम भी हैं। ये कारण और परिणाम अपना कर भाजपा आने वाले चुनावों में अपने आपको पुनः स्थापित कर सकती है।

कारण एक-भाजपा द्वारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की संकल्पना का निर्धारण करना।
निवारण-इस देश में जहाँ कि चारण-भाट परम्परा अभी तक कायम है, हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, सांस्कृतिक वातावरण को पिछड़े और दकियानूसी होने की निशानी माना जाता हो वहाँ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को लोग कैसे पचा सकते हैं? भाजपा को आगे सफल होना है तो इस संकल्पना को छोड़ना होगा।

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कारण दो-भाजपा के साथ राम का नाम जुड़ा है।
निवारण-भाजपा स्वयं सवाल करे कि राम हैं या थे कौन?
एक ऐसा काल्पनिक पात्र जो तुलसी दास द्वारा महिमामंडित किया गया। कांग्रेस द्वारा इस बात का हलफनामा अदालत में दिया भी गया था। एक ऐसा व्यक्ति जो अपनी पत्नी सीता का ही भाई था (ऐसा कांग्रेस के कम बोलने वाले बुजुर्ग नेता ने सहमत संस्था के द्वारा लोगों को समझाया था) एक ऐसा राजा जिसने शंबूक का वध किया और इस कारण से कि वह उस समय, कालखण्ड के अनुसार गलत कार्य कर रहा था। एक ऐसा पति जिसने बारबार अपनी पत्नी को किसी न किसी रूप में प्रताड़ित किया। एक ऐसा भाई जिसने अपने छोटे भाई को उकसा कर दूसरे भाई (रावण) की बहिन की नाक-कान कटवा दिये।
आखिर इस प्रकार के पात्र और वो भी काल्पनिक के लिए क्यों पूरे देश में उत्पात मचा रखा है।
भाजपा यदि वोट चाहती है तो राम नाम को सिरे से खारिज करना होगा।

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कारण तीन-भाजपा ने हिन्दुओं की बात भी भारत देश में रखी।
निवारण-हिन्दुओं की बात करने के पहले भाजपा को हिन्दुओं के इतिहास को खंगालना चाहिए था। बर्बर जाति, कट्टर धर्म, आक्रांता, बात-बात पर अपने धर्म का बखान करने वाले, वर्षों तक अपनी संस्कृति के नाम पर सोने वाले की बात करना कहाँ की राजनीति है? एक ऐसा धर्म जो साम्प्रदायिक हो, जो कहता है कि हमें अपने हिन्दू होने पर गर्व है, जो बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों को मानता हो फिर भी वह मुसलमानों, ईसाइयों को डराता-धमकाता रहता हो.........और भी बहुत बुराइयाँ हैं हिन्दू होने में। तब इस प्रकार के लोगों की बात करके भाजपा ने देश में डर का वातावरण तैयार कर दिया है।
यदि भाजपा चाहती है कि वह भी निष्कंटक बड़े दल की तरह सत्ता में रहे तो उसके लिए आवश्यक है कि हिन्दू क्या है, कौन है बिलकुल ही भूल जाये।

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कारण चार-भाजपा के पास देश के लिए शहीद होने वाला परिवार नहीं।
निवारण-देश में जब सदा से ही राजनीति एक परिवार को केन्द्र में रखकर होती रही हो वहाँ कैसे सम्भव है कि बिना परिवार के सत्ता प्राप्त कर ली जाये? चाटुकारिता के नाम पर भाजपा के पास ऐसा कोई परिवार नहीं जिसके सदस्यों ने शहीद होना सीखा हो, भले ही वे आतंकवादी घटनाओं का शिकार हुए हों। आखिर जब परिवार के नाम पर चापलूसी इस देश में कायम है, गुलामी की आदत अभी भी हमारे खून से निकली नहीं है तब बिना परिवार के सत्ता पाना लोहे के चने चबाना है।
यदि भाजपा अपने आसपास निगाह दौड़ाये तो उसको संजीवनी मिल सकती है। वरुण और मेनका के रूप में एक परिवार एसके पास भी है जिसके नाम पर देशवासियों की आँखों को नम किया जा सकता है, गरीबी के बाद भी वोट को पाया जा सकता है।

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आज के लिए यही चार कारण पर्याप्त हैं क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में यही चार मायने भी रखते हैं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. muaafi chaunga magar aapke chaaro mese kisi se bhi sahmati nahi rakhtaa...BJP ke haarne kaa kaaran sirf ye chaar nahi hai aur naa hi sirf ye .... sirf raam ka naam hi BJP ko haraaye ye uchit nahi hai.... iske pichhe congress ki achhaaee ko bhi dekhaa jaani chahiye.. usne jistrah se sangharsh kiyaa hai/bahot saari jagah pe BJP aam logon tak pahunch hi nahi payee ye sabse badaa mudaa hai /apne aapko majboot netaa kahnaa ye sirf sahi nahi hai aam chunaaw me aam janataa tak pahunchanaa hi majboot netaa kahlaata hai jo aam insaan ka dard kam se kam sun sake... bhale hi kam naa kar paye... ye ek bahot badi bahas ki baat hai ghanto is baat pe charchaa kari jaa sakti hai.. magar jo ho gayaa so ho gayaa / chahe jo bhi sarkaar ho aam insaan ko ek sthaayee sarkaar hi chahiye naa ki congress naa hi BJP .... sthaayee sarkaar ke liye aapko bhi badhaayee

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  2. ye sare karan kalpnik hain, BHAJPA KI HAAR KA EKMATRA KARAN HAI ATAL BIHARI VAJPAYEE KA BUDHAPA.......
    YADI VE SWASTH HOTE TOH NA AADWANIJI AKELE PADTE AUR NA HI HAARTE atalji ko shilajeet ka halva khilao,unhen jawan banao aur BJP ko jitane ke liye dobara chunav karao

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  3. b.j.p. ki har ka mukhy karan raha ki b.j.p. bhartiy janta party se bhram jal party ho gayi hay. jo karan aapne vyang me likhe hay vo khud unko bhula baithi hai. agar hindutv ke karan b.j.p. hari to varoon gandhi 260000 vote se kyo jeeta. gujrat me modi 15 seet kaise jeete, yagi aaditynath ka jeetne ka antar har bar kyo bad raha hai. to bhai b.j.p.logo ko bhram me na rakhe,vapas inhi muddon par aaye.aur khulkar aaye,to b.j.p. vapas satta me aa sakti hai.

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