24 अक्तूबर 2008

एक सलाम इनके नाम भी

भारत की धरती से चाँद को छूने के लिए उड़ान भरी गई और अनेक लोगों के चेहरे खुशी से चमक उठे. इस शानदार सफलता के बाद भी बहुत सारे लोगों को इस बारे में जानकारी ही नहीं है कि ये उड़ान क्यों भरी गई? इस उड़ान का मकसद क्या है? इसे किस स्टेशन से छोड़ा गया है? ये सब आपको कल्पना का हिस्सा लग रहा होगा पर ऐसा सत्य है। वैसे मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना ये है कि एक ऐसे देश में जहाँ कि एक बहुत बड़ी आबादी अभी भी बेकारी, बीमारी, भुखमरी आदि से जूझ रही हो वहाँ इस तरह के कार्यों का कोई अर्थ नहीं निकलता.
इसके बाद भी मेरा मानना ये है कि इस तरह के कार्यों को सफलता से अंजाम देते वैज्ञानिकों, इंजीनियरों आदि की योग्यता पर किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए. ये लोग अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर देश को सारे विश्व में स्थान दिला रहे हैं. इसके बाद भी अफ़सोस इस बात का है कि ये लोग किसी भी रूप में हमारे हीरो, आदर्श आदि के रूप में सामने नहीं आ पाते हैं. मैदान पर चौके-छक्के लगाने वाले खिलाड़ियों के पीछे सारा देश पागल सा घूमता है, फिल्मों की दुनिया में कूल्हे मटका कर प्रसिद्धि हासिल करने वाले हीरो-हीरोइनों के करोड़ों-करोड़ लोग दीवाने हैं, इन लोगों को तमाम सारे पुरस्कारों, सम्मानों से लाद दिया जाता है. एक-दो मैच जीत जाने के बाद इनका स्वागत ऐसे होता है जैसे किसी देवता का पदार्पण हो रहा हो, एक फ़िल्म-स्टार को देखने के लिए भीड़ इस कदर आन पड़ती है मानो अब इन्हें न देख पाये तो ये जन्म ही व्यर्थ चला जायेगा।
परदे के पीछे रह कर काम करते इन वास्तविक हीरो लोगों को कितने लोग सम्मान देते हैं ये किसी से छिपा नहीं है। छंद की तरफ़ उड़ता जा रहा राकेट इन प्रतिभा-संपन्न लोगों की कहानी ख़ुद कहता है। हम इनके प्रति अपना आदर तब व्यक्त करते दीखते हैं जब कहीं दूर विदेश में ये सम्मानित हो जाते हैं। तब तक तो हम ठुमके लगाने वालों के पीछे, खेल के नाम पर रुपयों से खेलते लोगों के पीछे पागलपन दिखाते ही रहेंगे।
आइये एक पल को ही सही चंद्रमा को छूने जा रहे भारत को विश्व-शक्ति बनाने वाले इन वैज्ञानिकों के प्रति हम अपना सलाम, अभिवादन, सम्मान आदि तो प्रदर्शित कर ही सकते हैं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही कहा आपने. इन वास्तविक हीरे जैसे हीरों को मेरा भी सलाम और हार्दिक अभिनन्दन!!

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  2. राष्ट्रपति के उम्मीदवार औबामा ने क्या कह दिया कि एक सीमा से अधिक कमाने वालों पर अधिक टैक्स लगना चाहिए। उन के विरोधी उन्हें सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट और मार्क्सवादी बनाने पर तुले हुए हैं। जो लगता है अब तक अमरीका के साथ साथ सारी दुनिया में गाली के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा न हो आप को भी लोग कम्युनिस्ट मार्क्सवादी कहने लगें।

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