04 अक्तूबर 2008

कविता-प्रेमियों के लिए

आज की यह पोस्ट विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो साहित्य में रूचि रखते हैं विशेष रूप से साहित्य के कविता भाग से. पहले आपसे अपने कविता-संग्रह "हर शब्द कुछ कहता है" के बारे में बता चुके हैं. अब आज एक और कविता संग्रह "अनुभूति और स्वर" के बारे में आपको थोड़ा सा बताना है.

"अनुभूति और स्वर" कविता संग्रह मेरे पूज्य अंकल डॉ0 ब्रजेश कुमार जी का है। वे सेवानिवृति के बाद घर पर आराम और आनंद से अपने दिन गुजार रहे हैं. मेरी आंटी(डॉ0 ब्रजेश जी की धर्मपत्नी) अपने बेटे-बहू और छोटी सी प्यारी नातिन के साथ रह रहे अंकल के इस कविता-संग्रह में उनकी बहुत पुरानी कवितायें हैं. अंकल पहले यहाँ उरई में ही एक डिग्री कॉलेज में प्राध्यापक थे. अंकल ने अपना बहुत सा समय नाटकों के निर्देशन में दिया और बहुत छोटे से शहर उरई में एक सांस्कृतिक माहौल भी बनाया था. यहाँ तक कि वर्तमान में देश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मशहूर उरई की संस्था "वातायन" की स्थापना भी उन्हीं ने की थी. कविताओं को बहुत पुराना इसलिए भी कह सकते हैं क्योंकि हमने विगत कई वर्षों से कविता लेखन करते नहीं देखा था.

बहरहाल कुछ भी हो उनकी कविताओं की डायरी देखने के बाद लगा कि इन कविताओं को प्रकाशित होना चाहिए. बस यही सोच कर कुछ थोड़ी सी कविताओं को उनके ब्लॉग पर पोस्ट कर रहे हैं और इन्हीं कविताओं को किताब के रूप में भी प्रकाशित करवा रहे हैं. अभी तो आप लोग-वे जो कविताओं से प्रेम करते हैं- इनका आनंद उठायें.

मेरा तो एक प्रयास है अंकल की रचनाओं को सामने लाने का, शेष तो उनका ही आशीर्वाद है.

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